कुवैत कौथिग में घनानंद ने हंसाया और धूम सिंह रावत और रेशमा शाह ने झूमाया
उत्तराखंड कल्चरल एसोसिएशन कुवैत के द्वारा कुवैत महाकौथिग 2020 का भव्य आयोजन किया गया. कुवैत के इंडियन कम्युनिटी स्कूल खेतान ब्रांच में इस भव्य महाकौथिग का आयोजन किया गया. जहां पर उत्तरांखंडी लोकगीतों पर लोग झूमने को मजबूर हो गये. इस दौरान कुवैत में रहने वाले सैकड़ों उत्तरांडी यहां पहुंचे. सभागार उत्तराखंडी लोगो से खचाखच भरा हुआ नज़र आया, कुवैत महाकौथिग 2020 में प्रशिद्ध लोक गायक धूम सिंह रावत और लोक गायिका रेशमा शाह ने जबरदस्त समां बांधा और दर्शको को अपने सुरीले गीतों से मन्त्र मुग्ध कर दिया.
वहीं कुवैत महाकौथिग में संस्कृति साहित्य एवं कला राज्य मंत्री और प्रसिद्ध हास्य कलाकार घनानंद उर्फ घन्ना भाई ने भी दर्शको को हंसा हंसा कर लोट पोट कर दिया. साथ ही संगीतकार सुरेंद्र सिंह और प्रवीण कुमार का मधुर संगीतमय जादू भी कुवैत में खूब चला.
घन्ना भाई ने लोग गायिका रेशमा शाह और एसोसिएशन के एडवाइजर कोटद्वार निवासी धीरेन्द्र सिंह रावत के साथ मिलकर एक नाटक का भी मंचन किया जो कि दर्शको काफी भाया.
कुवैत महाकौथिग की औपचारिक सुरुवात अध्यक्ष बलबीर चंद रमोला, उपाध्यक्ष महाबीर सिंह बिष्ट, महासचिव राजेंद्र पुंडीर, जयेन्द्र बिष्ट आदि कोर कमिटी मेंबर्स ने दीप प्रज्वलित कर की, कुवैत महाकौथिग को सफल बनाने में प्रीतम सिंह रावत, रमेश रावत, भगवान् सिंह रावत, मनमोहन सिंह बिष्ट, चैन सिंह राणा, महाबीर सिंह रावत, दिनेश चमोली, रविंद्र रावत, मंगल सिंह पुंडीर, प्रेम सिंह, सब्बल सिंह, प्यार सिंह, दिनेश मेहर, विजयपाल सिंह बिष्ट, दलीप बिष्ट, जीत सिंह रावत और अन्य सभी मेंबर्स ने कड़ी मेहनत की.
कुवैत महाकौथिग 2020 के मुख्य अतिथि इंजीनियर सुरेंद्र कुमार ने अपने उद्घोषण में एसोसिएशन को बधाई देते हुए कहा की इसी तरह हर साल मिलजुलकर आपसी प्यार मोहब्बत से अपनी सांस्कृतिक धरोहर को संजोये रखने के लिए हिंदुस्तान की धरती से दूर कुवैत में नए नए कार्यक्रम करते रहना बहुत जरूरी हैं.
कार्यक्रम का सफल मंच सञ्चालन धीरेन्द्र सिंह रावत एवं सारिका रावत ने किया. सफल कार्यक्रम के अगले दिन सभी लोक कलाकारों को कोर समिति के मेंबर्स द्वारा कुवैत भ्रमण कराया गया और वहां के पकवानो को परोसा गया. सारे लोक कलाकार कुवैत की मीठी याद लेकर अपने वतन भारत वापस पहुंच चुके हैं. उत्तराखंड में या देश के अन्य राज्यों में इस तरह के सांस्कृति कार्यक्रमों के आयोजनों में सरकार की भी मदद संस्थाओं को मिलती रहती है लेकिन विदेश में इस तरक के कार्यक्रमों का आयोजन करवाना किसी के लिए भी काफी मुश्किल होता है… ऐसे में जरूरत है सरकार इन संस्थाओं और विदेश में होने वाले ऐसे आयोजनों पर भी ध्यान दे