उत्तराखंड में उद्योग को बढावा देने के लिए राज्य सरकार ने बीते दिनों इन्वेस्टर समिट का आयोजन किया था जिसका असर अब धरातल पर दिखने लगा है और सरकार की पहल पर एक नई शुरूआत हैम्प की खेती के रुप में सामने आई है. हैम्प एसोसिएशन ऑफ इंडिया ने उत्तराखंड के पर्वतीय क्षेत्रों में हैम्प की खेती शुरू की है. वहीं आने वाले दिनों में इसकी खेती सूबे के किसानों के लिए वरदान साबित होती दिख रही है.वहीं देहरादून में हैम्प ने अपने नये कार्यालय का उद्घाटन किया. इस दौरान प्रदेश सरकार के औद्योगिक सलाहकार डॉ के एस पंवार ने रिबन काटकर हैम्प के नए कार्यलय का उद्घाटन किया.
आइए जानिए आखिर हैंम्प की खेती क्या है और किस तरह रोजगार के अवसर खुलेंगे।
हैम्प एक भांग की प्रजाति होती है। इसमें लो TLC के कारण कम नशा होता है। इसी वजह से राज्य सरकार ने इस प्रजाति पर प्रतिबंध नहीं लगाया है। हैम्प से रस्सी चटाई तो बनती ही है साथ ही उत्तम गुणवत्ता वाले लीलेंड कपडों में इसका इस्तेमाल किया जाता है. वही इसका रेशा निकालने के बाद बचे हुए हिस्से का उपयोग ईँधन, दवाई, कागज आदि बनाने में किया जाता है.उत्तराखंड देश का पहला राज्य बना है, जहां सरकार ने हैम्प की खेती के लिए लाइसेंस दिया है। इधर हैम्प एसोशिएशन आफ इंडिया ने कहा है कि वह अपने स्तर पर राज्य में 11 सौ करोड रुपए तक के प्रोजेक्ट पर काम करेगी। हैम्प की खेती जहां एक तरफ रोजगार के अवसर दिला रही है. वही उम्मीद बंध रही है कि इससे काफी हद तक पलायन भी रुकेगा.
विशेषज्ञों का मानना है
विशेषज्ञों का मानना है कि इस खेती से किसानों को चौतरफा लाभ मिल रहा है। हेम्प की साल भर में तीन बार खेती की जा सकती है। हेम्प एसोसिएशन ऑफ इंडिया द्वारा इसकी फसल पैदा करने के लिए किसानों की जमीन लीज में ली जा रही है साथ ही किसान अगर अपनी अपनी जमीन पर हैम्प संस्था के साथ मिलकर काम कर रहा है उसे दैनिक व मासिक वेतन भी दिया जा रहा है. साथ ही साल में जितना भी लाभ होगा उसका एक से पांच प्रतिशत तक लाभ दिया जाएगा। जिससे उसकी खेती का सद्पयोग भी होगा और जीविका का साधन भी बढेगा.