पहाड़ में ये क्या होने लगा है
शीर्षक- देवभूमि क्या होने लगा है।
दीपक कैन्तुरा सोशल विकास
देवभूमि में ये क्या होने लगा है।
थर- थर काँपी धरा, आसमा रोने लगा है।।
जो कभी सपने में नही सोचा वह हकीकत में होने लगा है।
आज देवभूमि उत्तराखंड शर्म के मारे रोने लगा है ।।
ऐसा काम किया उस दरिंदा ने दिल दहलाने का।
दुःसहास किया मासूम को जिंदा जलाने का।।
उस दरिंदे को भी जिंदा जलाना होगा।।
उत्तराखंड (पौडी) की बेटी नेहा को इंसाफ दिलाना होगा।।
इंसानियत को इस दरिंदे ने किया शर्मसार।
देवभूमि की इज्जत को किया तार-तार।।
हवस के भेडिये को सबक सिखाना होगा।
इसे भी पेट्रोल छिडकर चौराहे पर जिंदा जलाना होगा।।
खामोशी से सुन रहे थे जो उस मासूम की चीख पुकार।
एसे इंसानों के लिए है समाज में धिक्कार।।
हमारी ये खामोशी ही बना रही बेटियो को दरिंदों का शिकार।
‘बेटी बचाओ बेटी पढाओ’ का नारा कैसा होगा साकार।।
सोचो क्या बीती होगी जब आग से मासूम का शरीर धधक रहा होगा।
लोग बने तमाशबीन उसका प्राण भटक रहा होगा।।
जरा सोचो एक इंसान जिंदा इंसान पर कैसे लगा सकता आग।
ये दरिंदा लगा गया उत्तराखंड (पौडी) की धरती पर दाग।।
जब ये कुकृत्य हुआ होगा रोये होंगे पेड-पोधे और परिंदा।
फटी होगी धरती रोया होगा गगन जब कुकृत्य को अजाम देरहा था दरिंदा।।
नेहा को इंसाफ दिलाना होगा।
दरिंदें को फांसी पर लटकाना होगा।।
एसे हालतों में कल किसी की बेटी की भी हो सकती बारी।
हमें मिलकर करनी है इस अपराध से निपटने की तैयारी।।
जिस पर अपराध हो रहा उसे समझना होगा अपना।
तभी साकार हो सकता बेटी ‘बचाओ बेटी पढाओ’ का सपना।।