इसलिए मिलेगा लुठियाग को पुरूस्कार

जल सरक्षण के लिए लुठियाग गाँव को मिलेगा पुरुस्कार- मंगेश
दीपक कैन्तुरा
जिलाअधिकारी मंगेश ने की राज राजेश्वरी समिति के तीसरे वर्ष गांठ पर शिरकत

  • पानी  न होने के वजह  से मॉ-बाप बेटी का रिस्ता करने से भी करते थे मना ।
  • टंकी  पर जमा है 11लाख लीटर पाना ।
  • 2014 तक तीन चार किलोमीटर से ड्रमों पर लाना पडता था पानी
  • घटखाणी पानी के लिए आन्दोलन करना पडा।
  •  कभी दो दिन तक नहीं आता था पानी भरने का नंबर।
  • 4- मार्च अप्रैल में प्रत्येक परिवार को मिलेगा 300 लीटर पानी।हर परिवार देता 50 रुपया महिना
  • 5- जल संरक्षण के लिए मीटर लगाने वाला पहला गाँव बना लुठियाग
  •  रिलांयस फाउडेशन की टीम ने दिया महत्वपूर्ण योगदान।

कहते हैं इंसान किसी कार्य को लग्न मेहन से करता और मन में ठान लेता है उस कार्य में कितनी भी विपरित परिस्थिति हो इंसान को कामयाबी जरुर मिलती है। यह वाक्या सटीक बैठता है जनपद रुद्र प्रयाग व टिहरी जिले के सीमा पर समुद्र सतह से 2170 बसे गाँव लुठियाग चिरबिटिया पर इस गाँव को वैसे फोजियों के गाँव के नाम से जाना जाता है क्योंकी इस गाँव के लोगों ने आजादी की लड़ाई से लेकर कारगिल लड़ाई हो या देश हित की हर लड़ाई में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया। और हर साल चार या पाँच जवान भारत माँ की रक्षा के लिए तैयार होते हैं।

  • इतना ही नही जहाँ आज लगातार जहाँ पलायन का दंश झेल रहा वहीं लुठियांग गाँव के अकेले 65 परिवारों ने 10 लाख की सब्जी का उत्पादन किया। रिलांयस फाउडेशन के सहयोग से लुठियाग गाँव में कई महत्व पूर्ण कार्यों को नई दिशा दी गयी है।
    2014 से पहले बूंद-बूंद पानी के लिए तरस रहे लुठियाग गाँव ने बिना सरकारी मदद के जल संरक्षण करके देश के पुरे सिस्टम को आईना दिखाने का काम किया। ग्रामीणों ने श्रमदान से बनायी गयी झील में 11 लाख लीटर बरसाती पानी का संग्रहण पूरे प्रदेश में एक अलग मिसाल पेश की तीन वर्ष पहले जो गाँव बूंद-बूंद पानी के लिये मोहताज था आज वहाँ घर-घर में भरपूर पानी ही नहि बल्की शाख सब्जियों की खूब पैदावर होकर ग्रामिणों की आजीविका का जरिया बनगयी है।
    अधिक ऊँचाई होने के कारण 1991 के भूकम से मुख्य पानी का स्रोत्र धवस्त होगया 204 परिवार वाले इस गाँव में एक स्रोत्र पानी का बचा था दो चार माह छोडकर अन्य महिनों सूख जाता था जिसके लिए ग्रामीणों को दो से लेकर चार किलोमीटर की दूरी तय करके ड्रम पर पानी लाना पडता था कभी तो स्थिति यह हो जाती थी की दो दिन तक पानी भरने का इंतजार करना पडता था 2014 में लुठियागवालों ने राज राजेश्वरी नामक कृर्षि समिति का गठन किया और गांव के हर घर पानी जुटाने का संकल्प लिया । और संकल्प के तहत विश्व पर्यावरण दिवस पर 104 परिवार वालों के साथ गैंती फावड़ा कुदाल सब्ल लेकर पेयजल सरोत्र के उपर वहाँ छोटे- छोटे खाल बनाने का कार्य शुरु किया गया।
    करीब एक माह की कड़ी मेहनत के बाद ग्रामीणों ने 40 मीटर लंम्बी और 18 मीटर चौड़ी झील का निर्माण किया।
    बारिश होने के साथ पानी एकत्रित्र हुआ जिससे पुरे क्षेत्र में नमी मिलगयी है 2015 में 5 लाख लीटर पानी जमा होने से गाँव में पेयजल सरोत्र रिचार्ज शुरु हो गये। स्रोत्र के अन्य नम स्थलों पर भी सरोत्र फूटने लगे 2016 में 8 लाख लीटर पानी एकत्रित्र होगया इसके बाद रिलायंस फाउडेशन के मदद से 50 हजार और 22हजार क्षमता के दो टैंक कों का निर्माण किया गया। टैंक से गाँव के 104 घरों तक 5340 मीटर पाईप लाईन बिछाई जिससे सभी को भरपुर पानी मिलने लगा ।

लुठियाग चिरबाटिया  खल्वा गांव को एक मॉडल गांव बनाया जाएगा जहां सभी सरकारी एवम गैर सरकारी संस्थाएं साथ मिलकर काम करेंगे-जिलीअधिकारी रूद्रप्रयाग ।

 

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