हिमालय राज्यों द्वारा एक कॉमन एजेंडा तैयार.

ग्रीन बोनस, जल संरक्षण व आपदा प्रबंधन एजेंडा के मुख्य बिन्दु

मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने मसूरी में आयोजित हिमालयन कान्क्लेव के संबंध में बताया कि यह आयोजन सफल रहा है। प्रथम बार हिमालयन राज्यों के प्रतिनिधियों द्वारा प्रतिभाग किया गया है। उन्होंने बताया कि असम राज्य को छोड़कर 10 राज्यों के प्रतिनिधियों ने हिमालयन कान्क्लेव में शामिल हुए। जिसमें हिमांचल प्रदेश, नागालैंड, मेघालय के मुख्यमंत्री, अरूणाचल प्रदेश के उप मुख्यमंत्री एवं अन्य राज्यों के प्रतिनिधियों द्वारा प्रतिभाग किया गया।


मीडिया से बात करते हुए मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र ने कहा कि हिमालयन कान्क्लेव में मुख्यतः आपदा, जल शक्ति, पर्यावरणीय सेवाओं आदि पर चर्चा की गई। उन्होंने कहा कि सभी हिमालय राज्यों द्वारा एक कॉमन एजेंडा तैयार कर केन्द्रीय वित्त मंत्री  निर्मला सीतारमण को दिया गया। हिमालयी राज्यों द्वारा यह भी मांग की गई है कि पर्यावरणीय सेवाओं के लिए ग्रीन बोनस दिया जाना चाहिए। हिमालयी राज्य देश के जल स्तम्भ है, जो माननीय प्रधानमंत्री जी के जल शक्ति संचय मिशन में प्रभावी योगदान देंगे। नदियों के संरक्षण व पुनर्जीवीकरण के लिए केन्द्र पोशित योजनाओं में हिमालयी राज्यों को वित्तीय सहयोग दिया जाना चाहिए।


नये पर्यटक स्थलों को विकसित करने में केन्द्र सरकार द्वारा सहयोग दिया जाना चाहिए। देश की सुरक्षा को देखते हुए पलायन रोकने के लिए सीमावर्ती क्षेत्रों के विकास को प्राथमिकता दी जानी चाहिए। हिमालयी राज्यों की इस चिंता पर केन्द्रीय वित्त मंत्री द्वारा भी आष्वासन दिया गया है। हिमालयन कान्क्लेव में इस बात पर सर्वसम्मति बनी कि प्रतिवर्श आयोजित किया जाय। साथ ही हिमालय क्षेत्र के लिए अलग मंत्रालय का गठन किया जाय। इस सम्मेलन में नीति आयोग, पन्द्रवां वित्त आयोग व वित्त मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा हिमालयी राज्यों के लिए बजट में अलग से प्लान किये जाने का आश्वासन दिया गया।

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