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                  रम्माण दुनिया मा शान- घर मा अनजान 

 दीपक कैन्तुरा  

जोशीमठ- जोशीमठ कु नृत्य एक यनि पछ्याण च। जै मा बोली भाषा की  रस्याण च। देवी देवतों की आस्था कु संगम . हंसी का दगडा खुदेड च। थाती अर माटी सी जूडया ये रम्माण की यीं संस्कृति तें अपणा खून पसीना सी सिंची तैं बूजर्गों न एक नई पछ्याण दिलाई। रम्माण शब्द रामायण शब्द सी उत्तपति ह्वे।

जनपद चमोली का पैंनखण्डा का क्षेत्र मा लगभग 500 सालों बटिन या परम्परा चलदा आणी च। ये नृत्य कु अपणु एक अलग इतिहास च। मुखोटा शैली कु यु अनुठु यु नृत्य भल्दा प्राचीन परम्परा वाळू यू पौराणिक नृत्य च।

जै नृत्य न गौंउ का चौक सी लेकी सात समुद्र पार पेरिस तक अपणा कामयाबी अर सफलता का रंग बिखेरीन। जानकारों की माणा त जानकार बथोंदन की येकु तालुक रामायण सी च। जैकी वजै सी येकु नौंउ रम्माण पडी।

  यींछन रम्माण की खास नृत्यशैली।

  • पात्रों का बीच क्वी बोलचाल नी होंदी
  • पुरा रम्माण मा 18 मुखोटा होंदन
  • 18 ताल बजदीन
  • 12 ढौल दमाऊ की जौडी रेंदिन
  • 8 भकौंरों की जौडी रंदि

ये का अलावा झांझरा ,मजीरों का माध्यम सी वभावनाओं तैं समझाये जांदू।

         यीं होंदन खास मुखोटा

  • द्यो पत्तर- जु देवताओं का मुखोटा होंदन जैमा राम जी हनुमान जी आदि देवी देवतों का मुखोटा होंदन दगडा ही मुखोटे के साथ स्थानीय भेष- भूषा दोंखु पैरिक तैं नृत्य करदन।
  • खल्यारी पत्तर – यु एक हास्य पत्तर होंदू।जैतें मनोरजन कु मुखोटा बोलदन ।

रम्माण नृत्य बिकोती का दिन बटि शुरु ह्वे जांदू जु एक हप्ता तक चलदु। जैमा खास के भूमि का भूमियाल की पूजा होंदी। जिला चमोली का जोशीमठ का सलूड अर डोगरा गौंउ का लोग मिलिक तें ये कौथिक कु आयोजन करदन।

कुछ सालों बटि जु रम्माण गौं का चौक तक सिमटियों थौ ऊं रम्माण कुशल अध्यापक अर ये नृत्य का ध्वजावाहक डाँ कुशल सिंह भंडारी का अथक प्रयासों सी राष्ट्रीय व अंतराष्ट्रीय मंचों पर एक नई पछ्याण मिली।2009 मा यूनेस्को न रम्माण तैं विश्व धरोहर घोषित कैरी। अर 11 अर 12 दिसम्बर कतैं 2010 क तैं जापानी मूल का होसिनो अर हिरोसी अर यूनेस्को न ये कु प्रमाण पत्र गौंउ का लौगों तैं सैंपी।

 

 ये का बाद  26 जनवरी 2016 मा  रम्माण की झांकी की प्रस्तुति दिल्ली का परेड मैदाम मा किए गी जैं झांकी सी देश का राष्ट्रपति का दगडा प्रधानमंत्री न यीं अनोखी झांकी दिल खोलिक तैं तारिफ कैरी थै। यीं सफलता का पिछवाडी गौंउ का दाना बूजर्गों का दगडी निष्पादन केन्द्र का डी. आर . पुरोहित छायाकार अरविन्द । अर रम्माण तैं जौंन गीतों की अनवार दिनी ऊंमा एक मात्र गायक थान सिंह नेगी च जौंतें रम्माण का जागरों की जानकार च। डाँ कुशल सिंह भंडारी बथोंदन की रम्माण तें इन्दिरा गाँधी कला केन्द्र सी यूनेस्को का सहयोग सी( 2013 मा) एक 41.10 लाख कु म्यूजियम बणाये गी जैमा पुराणा मुखोंटों का रखा गया इसके अलावा रंग शाला , दरवार , म्यूजियम बणाये गी।

 ये का अलावा 16 लाख डीएम चमोली सी न राष्ट्रीय धरोहर तैं नई छवालीं तक पोंछणक प्रचार प्रसार करणक व नई पीढी तें परिक्षण का खातिर दिनी न । भंडारी बथोंदन की ये पैंसा सी 1 साल तक परिक्षण कार्यक्रम दिए गी। 10 लाख निशंक सरकार न दिनी था जैमा परिस्र का खातिर जमीन खरिदीए गी। 2015 मा हरीश रावत सरकार न 36 लाख रुपया दिनी जैसी परिस्र कु सोन्दर्यकरण किए गी।

रम्माण जख विस्व फलक पर अपणी पछ्याण बणायों च जापान , अमेरिका ,रुस जना देश का लोग यीं धरोहर का बारा मा जाणदन। जबकि उत्तराखण्ड मा जोशीमठ का कुछ गौं तक सिमटीक रेगी सोशल मीडिया अर सूचना क्रांति का दौर मा भी उत्तराखण्ड का लौग यीं राष्ट्रीय धरोहर सी अनजान च . हर उत्तराखण्डीयों कु फर्ज ही ना कर्तब्य च की यीं राष्ट्रीय धरोहर का बारा मा पढला जाणला अपणी संस्कृति कु प्रचार प्रसार करला । आज देहरादूण का जै भी नौजवान पढया लिख्या लोगों तैं पुछदों न त ऊंमा कुछ ही लोग च जु येका बारा मा जाणदन । नथर रम्माण शब्द सुणिक यु ही बोलदन की रम्माण क्य च । हम सब का सहयोग सी यु  संभव ह्वे सकदु की हम अपणी यीं राष्ट्रीय धरोहर की बारा मा जाणला पढला औरों तैं भी बथौला युं हमारु फर्ज ही  एक कर्तब्य भी च।

 

 

 

 

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