उत्तराखण्ड में कुछ नहीं हो रहा है। सच्चाई या साजिश……………..?लिंक खोलकर देखिए पूरा सच

 उत्तराखण्ड में कुछ नहीं हो रहा है।

सच्चाई या साजिश……………..?

आजकल जिस तेजी से एक बात जो सबको गाहे-बगाहे सुनने को मिल रही है वो ये कि उत्तराखण्ड में कुछ नहीं हो रहा है या त्रिवेन्द्र सरकार कुछ नहीं कर रही है…… अब ये भला कैसे हो सकता है कि भारी बहुमत से जीतकर सत्ता में आने वाली पार्टी जिसकी सरकार केन्द्र में भी सत्तारुढ हो उसी पार्टी की डबल इंजन सरकार प्रदेश में कुछ नहीं कर रही है। अब इस बात में कितनी सच्चाई है ये जानने की इच्छा तो उन सभी लोगों को होगी जो अपने मुंह से तो ऐसी बात नहीं कह रहें है लेकिन सुन बहुत लोगों से रहे है। चलिए इस बात की भी तहकीकात करते है कि आखिर सच है क्या?

त्रिवेन्द्र सरकार के एक वर्ष पूरे होने पर सरकार द्वारा प्रचारित सामग्री में 1 वर्ष विश्वास का, ईमानदारी का, विकास का…….को विशेष उल्लेखित किया गया……यानि कि विश्वास, ईमानदारी और विकास। मेरी नज़र में पहली बात की महत्ता बाकी दो बातों के आकलन पर ज्यादा निर्भर करती है, प्रदेश के मुखिया बनते ही त्रिवेन्द्र रावत ने कहा था……जीरो टाॅलरेंस आन करप्सन …….शायद इसी का असर है कि आज विधानसभा और सचिवालय से दलालों की फौज गायब है, शायद इसी के क्रम में मुख्यमंत्री ने एन0एच0 74 भूमि मुआवजा घोटाले में 20 अधिकारियों व कर्मचारियों को जेल में डालकर एक बात तो साफ कर दी कि मेरी कथनी और करनी में कोई अन्तर नहीं है। ट्रांसफर एक्ट लागू कर जहां ट्रांसफर करवाने वाले दलालों की दुकानें बंद करवाई वहीं शराब और खनन माफिया की गुण्डांगर्दी को खत्म करने के लिए खनन पट्टों व शराब की दुकानों की नीलामी प्रकिया को भी आनलाइन करा दिया। चाहे सरकारी खरीद में कमीशनखोरी समाप्त करने के लिए गर्वमेंट ई-मार्केट प्लेस की व्यवस्था की बात हो या ब्लाॅक स्तर से लेकर सचिवालय तक सभी सरकारी कर्मचारियों के लिए बायोमेट्रिक अटेंडेंस सिस्टम लागू करने की भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरो टाॅलरेंस वाली बात सिर्फ बात नहीं लगती है।
दूसरी तरफ……12000 करोड़ की आल वेदर रोड की महत्वाकाक्षीं योजना हो या फिर ऋषिकेश-कर्णप्रयाग व रुड़की-देवबंद की रेल लाइन तीनों पर काम जोर-शोर से चल रहा है। त्रिवेन्द्र सरकार नें 2600 करोड की भारी-भरकम धनराशि स्वीकृत करा कर एक ओर जहां सहकारी समितियों को विकास करने के लिए मजबूत किया है वहीं दूसरी ओर कृषि क्षेत्र में एक साल में लगभग सवा लाख से अधिक अन्नदाताओं को तकरीबन 600 करोड़ का ऋण मात्र 2 प्रतिशत ब्याज पर उपलब्ध भी कराया है। उत्तराखण्ड को बागवानी प्रदेश और जैविक प्रदेश बनाने के लिए क्रमश: 700 व 1500 करोड़ रुपये की योजना स्वीकृत करवा कर मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र रावत ने कृषि व कृषको के प्रति अपने प्रेम को जाहिर कर दिया है। राज्य बनने के बाद से ही चिकित्सकों की कमी झेल रहे प्रदेश के लिए 1100 से ज्यादा चिकित्सकों की तैनाती थोड़ी राहत जरुर पहुंचाती है। सभी विद्यालयों में एन0सी0आर0टी0 की पुस्तकें लागू करवाकर अभिभावकों के करोड़ो रुपये बचाना और कमजोर एवं निराश्रित महिलाओं के लिए 1 लाख तक का ऋण केवल एक प्रतिशत ब्याज पर उपलब्ध कराना मुख्यमंत्री के अपने प्रदेश की आम जनता के प्रति सवेंदनशीलता दर्शाता है। प्रदेश में सूक्ष्म व लघु उद्योगों को बढावा देने के लिए केन्द्र से 600 करोड़ रुपये, देवभूमि की मां-बहनों को आर्थिक रुप से सक्षम बनाने के लिए देवभोग प्रसाद योजना और सभी सरकारी राशन की दुकानों को काॅमन सर्विस सेन्टर के रुप में विकसित करना स्व-रोजगार की ओर बढते हुए कदमों की आहट है।
राज्य बनने से अब तक त्रिवेन्द्र रावत आंठवे मुख्यमंत्री के रुप में प्रदेश की जनता के सामने है और सोशल मीडिया, रैबार और देवभूमि डाॅयलाग जैसे कार्यक्रमों के माध्यम से प्रदेश की जनता से लगातार संवाद करते हुए ये अपील कर रहे है कि आप किसी भी माघ्यम से भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठाएं, भ्रष्टाचार की शिकायत करें और भ्रष्टाचार के खिलाफ हमारी मुहिम में अपना सहयोग दें, जिससे हम और आप मिलकर स्वच्छ और स्वस्थ उत्तराखण्ड का निर्माण कर सकें। त्रिवेन्द रावत उन मुख्यमंत्रियों में से है जिनकी व्यक्तिगत और राजनीतिक दोनों छवि बेदाग है। शांत और सरल स्वभाव के साथ ईमानदारी से मेहनत करते हुए अपनी कर्मठता से जो मुकाम आज त्रिवेन्द्र रावत को हासिल हुआ है उसे वो उत्तराखण्ड में सुशासन और पारदर्शी सरकार देते हुए जरुर आगे बढाना चाहेगें। इसके बावजूद भी अगर ये सुनने में आ रहा है कि उत्तराखण्ड में कुछ नहीं हो रहा है…या त्रिवेन्द्र सरकार कुछ नहीं कर रही है तो ये उन नये-पुराने धुर विरोधी नेताओं की साजिश भी हो सकती है जो खुद मुख्यमंत्री बनने की आस पाले बैठे हुए है क्यूंकि 18 वर्ष की उम्मीदों को 18 महीनों में पूरा होते देखने की आस लगाए जनता के बीच में भ्रम की स्थिति पैदा करना कोई मुश्किल काम तो नहीं है।

साभार -प्रमोद रावत की फेसबुक वॉल से

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