पर्यावरण का पाठ पढ़ाते शिक्षक- सतेन्द्र सिंह भंड़ारी

पर्यावरण का पाठ पढ़ाते शिक्षक- सतेन्द्र सिंह भंड़ारी
दीपक कैन्तुरा
• जनपद रुद्रप्रयाग में एक शिक्षक का उनुठा प्रयास।
• रुचिपूर्ण शिक्षा के साथ देरहे हैं बच्चों को पर्यावरण की शिक्षा।
• निजि खर्चे से आधुनिक शिक्षा व पर्यावरण सुरक्षा के लिए अभी तक कर चुके हैं 3 लाख से भी अधिक खर्च।
• निजि प्रयासों से सरकारी स्कूल में छात्र संख्या बढाने में रहे सफल।

आज जहाँ दिन प्रतिदिन सरकारी स्कूलों में शिक्षा का लगातार स्तर गिरता जारहा है । पर्वतीय जिलों में सरकारी स्कूलों का आलम यह है कि कहीं ताले लटके हैं तो कहीं अध्यापक ही नही हैं और कहीं छात्र संख्या शून्य के कारण स्कूल बंद होने के कगार पर हैं। इस घोर कुहासे के बीच एक आशा की किरण देखने को मिली है रुद्रप्रयाग जनपद के प्राथमिक विद्यालय कोट तल्ला का जहां नोनिहालों की संख्या लगातार बढती जारही है ।इसका श्रेय जाता उस स्कूल के अध्यापक सतेन्द्र भण्ड़ारी को इनके अथक प्रयासों से विद्यालय हर साल नई उपलब्धि हासिल कर रहा है । आज सरकारी मास्टर बदनाम है की बच्चों के भविष्य पर ध्यान नही देते बस अपनी मोटी तनख्वा से मतलब है और अधिकत्तर शिक्षक प्रोप्रटी या एलआइसी के एजेंट हैं । पर एक एसे सरकरारी स्कूल के अध्यापक और अध्यापकों के लिए प्रेणा का स्रोत्र है। जिन्होने अपने दम पर तीन लाख खर्च कर स्कूल को आधुनिक तकनीकी शिक्षा व प्रोजेक्टर से आधुनिक शिक्षा दी जाती है। भण्डारी ने बच्चों के लिए हारमोनियम , माइक 3 साइकिल, खेल का सामान के अलावा बच्चों के लिए अपने दम पर एक लेपटाँप भी खरीदा है। भंडारी कहते हैं की बार बार बिजली जाने से हमें परेशानी होती थी और छात्र बराबर समझ नही पाते थे इललिये उन्होंने एक लेपटाँफ खरिदा ताकि हमारे सरकारी स्कूलों में छात्र संख्या बढ़े। भण्डारी का प्रयास रंग लाया जहाँ पहले 18 छात्र थे वहाँ आज 50 छात्र हैं । उनके अथक प्रयासों से 1 करोड़ रुपये वर्ड बैंक से स्कूल की बिलडिंग के लिए स्वीकृत हुए हैं ।इतना नही 7 नाली से अधिक की भूमि स्कूल के लिए उपलब्ध करवायी गयी है सतेन्द्र भंड़ारी बहुमुखी प्रतिभा के धनी है वह अपने छात्रों को हर तरह के क्रिया कलाप के अलावा पर्यावरण के बारे में प्रमुखता से जानकारी देते । सतेन्द्र भंड़ारी जहाँ एक आदर्श शिक्षक हैं उतने बडे पर्यावरण प्रेमी भी हैं।
जिस तरह पाँच जून को हर साल विश्व में पर्यावरण दिवस मनाया जाता है करोड़ों रुपये खर्च करके लाखों पेड़ लगाये जाते । पर्यावरण विद बडे- बडे मंचों से पर्यावरण पर भाषणबाजी और चिन्ता व्यक्त करते हैं और मीडिया भी बडा चढ़ाकर पर्यावरण दिवस पर इनकी चिन्ता को कवरेज दिया जाता है । पर कुछ लोग एसे है जो निस्वार्थ भाव से इस धरती माँ का श्रृंगार वृक्षारोपण से कर रहे हैं । एसा एक नाम है सतेन्द्र भंडारी जो पेशे से शिक्षक है ग्राम भटवाणी(कोठगी) पोस्ट घोलतीर जिला रुद्रप्रयाग में 11 जून 1971 को मोहन सिंह भणंडारी के घर जन्में सतेन्द्र भंडारी की प्राथमिक शिक्षा गाँव के ही विद्यालय में ग्रहण की । बीएससी बीएड़ एमए प्रथम श्रेणी में पास करने के बाद उनकी नियुक्ति 15 जनवरी 2009 राजकीय प्राथमिक विद्यालय कोट तल्ला में हुई। हर साल जितने बच्चे प्रवेश लेते हैं उन सभी बच्चों के अभिभावकों के साथ एक गोष्टी करके प्रत्येक बच्चा अपने नाम से जूलाई माह में एक फलदार पोधे का रोपण करता है। जिसकी देखभाल वह छात्र पाँच साल तक करता। बच्चों द्वारा लगाये गये कुछ फलदार पौधे अब फल देने लगे , भण्डारी बताते हैं की अब आम ,अमरुद के पेड़ों पर फल आने लग गये । विद्यालय को कई उपयोगी वृक्षों से हरा भरा कर दिया गया है। जिसमें ओषधीय पौधों में आंवला , चंपा, सेब , नाशपती सन्तरा, काफल , बांज, बूरांश , रुद्राक्ष व बहेड़ा के पौधों का रोपण किया गया जिसमें निर्माण की वजह से अब 120 पेड़ बचे हैं । उन्होने दो साल में 4000 पोधों की नर्सरी तैयार की है। जिसमें आम आंवला संतरा बेहड़ा हरडम पदम अनार आदि कही प्रजातियों के पौधे हैं। जो अब वृक्षा रोपण के लिए तैयार हो गये जिनको जूलाई और अगस्त में लगाया जायेगा इन पौधों का आदेश भी आ चूका है । इस वर्ष उनके द्वारा 11000 की नर्सरी तैयार की जारही । जिसमें थैली भराई का कार्य पुरा हो चुका है। वह बताते हैं स्कूल में फूलों के गमले सब्जी उत्पादन भी किया जाता। इसके अलावा कही ओषधीय पोधे भी उपलब्ध है हैं इन पोधों की लम्बाई 5 से 6 फिट हो चूकी है ।
सतेन्द्र ने स्कूल के अलावा अपने गाँव में डेढ़ हेक्टेयर में त्रिफला वन बनाया जिस में कीमती पेड़ लगाये गये । जिसमें हरड़ बहेड़ा आंवला व साथ में बाँझ बांस कचनार तेजपत्ता भी प्रोजेक्ट किया गया । जिसका बेहतरीन प्रतिफल देखने को मिला है भण्ड़ारी कहते हैं की उपवन संरक्षक के अलावा उदयांन अधिकारी ने भी वन का दौरा किया उन्होने सतेन्द्र भंड़ारी के इस निजी प्रयास की जमकर सहराना की । पिछले साल अपने गाँव में इन्होंने 90 संतरे के पौधे पायलेट प्रोजक्ट के तौर पर लगाये थे जिसमें उध्यान अधिकारी मखनवाल निरीक्षण पर आये थे । जिसमें 76 पौधे स्वस्थ पाये गये थे । उन्होने भंडारी की इस कार्य की जमकर सहराना की । इस वर्ष लगभग 500 फलदार पौधों को जूलाई अगस्त में लगाये जायेगा

 

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